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'रामू की मां' जैसे 28 लाख नाम पहली वोटर लिस्ट से हटाए गए थे

भास्कर रिसर्च. देश का पहला चुनाव सिर्फ चुनाव नहीं था। परीक्षा की मुश्किल घड़ी थी। विश्व भारत की तरफ देख रहा था। 1951 में पहले चुनाव का साल आया। ऐसा मुल्क जिसकी 85% आबादी जिसने स्कूल का चेहरा तक नहीं देखा था। जहां महिलाओं की पहचान उनके नाम से नहीं बल्कि पति. ..के नाम से होती थी। ऐसे देश काे अपनी पहली सरकार चुननी थी। इस मुश्किल काम का जिम्मा मिला सुकुमार सेन को।  देश के पहले मुख्य चुनाव आयुक्त। जिन्होंने विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में चुनाव का पूरा ढांचा खड़ा किया। पहले चुनाव की 7 बड़ी बातें पूरे देश का डेटाबेस तैयार हुआ : कुल वोटर  17.6 करोड़ थे। ये वे लोग थे जो 21 की उम्र से ऊपर थे। यह पहली बार था जब उम्र, लिंग के आधार पर पूरे देश में वोटर्स का डेटाबेस तैयार हुआ। देशभर में करीब साढ़े सोलह हजार क्लर्कों को छह महीनों के लिए कॉन्ट्रैक्ट पर रखा गया। सिनेमाघरों में बताया गया-वोट यूं देना है : जिन लोगों को प्राथमिक शिक्षा तक हासिल नहीं थी। उन्हें वोट देना समझाना मुश्किल काम था। देश के तीन हजार से ज्यादा थिएटर में फिल्मों के दौरान डॉक्यूमेंट्री दिखाई जाती, जिसमें वोट देने का तरीका समझाया जात